在美国、澳大利亚和加拿大等发达国家,反对本国应做出减排承诺的人士会搬出几个关键论据抵制拟议中的气候变化政策。
有些人表示,目前尚无充足的科学论据证明人类行为与气候变化之间存在因果联系;也有些人认为,有关气候变化政策的成本高昂。
“高成本”论认为,拟议中的减排政策会导致国内生产总值大幅降低,减少就业机会,或使某些产业无以为继,从成本收益以及其他社会福利最大化的层面而言得不偿失,亦或降低温室气体排放的成本太高。
另一种常见的观点认为,要求美国或其他一些国家承担减排的成本是不公平的,除非中国和印度等国也愿意做出类似的行动。
从道义的角度来看,这些观点根本站不住脚。
为什么我们不应该计算减排成本
所有国家都有责任根据其在全球温室气体排放中所占的比重采取相应的减排行动,因为任何国家都负有不损害他国及他国人民的道德义务。
诸多道德理论和国际法中都有这种义务。例如《联合国气候变化框架公约》就指出,各缔约国一致同意“有义务保证在其司法辖区或者管辖区内所发生的活动不会对国家司法辖区界线之外的其他国家或者地区造成损害”。
政府间气候变化委员会( )近期的一项研究结论也提出:“故意给他人造成损害或风险,已经预见到其行为后果却仍未停止行动,或者在某些情况下不顾其行为的负面后果给他人造成损害的,道德常识(以及法律实践)均要求这些人为其行为负责。”
成本论几乎总是围绕自身利益展开的,忽视了对他人的义务和责任。然而,国家或者个人是否应该采取行动避免气候变化,不仅仅只是对经济效率和国民福利最大化的考量,更是一个公义问题。某些政府和个人对气候变化负有更多的责任,原因在于他们的温室气体排放总量、人均排放水平和历史排放量均高于其他国家和个人。
世界上一些最贫困的国家几乎从未做过任何引起气候变化的事情,却最容易遭受气候变化带来的影响。如果他国政府和个人拒绝减少温室气体排放,这些贫困国家的人民将会受到更加沉重的打击。以减排成本太高为借口拒绝减排,这些贫困国家是不会同意的。
当然,如何确定各国在全球温室气体排放中所占的比重事关责任分配是否公正的问题,理性的人们或许会对不同国家的比重大小有着不同看法。一些排放量非常低的国家和人民或许认为自己还不需要减排,2050年之前,全球温室气体排放量要减少95%才能避免危险的气候变化。这一事实决定了几乎所有国家目前的排放量都超出了安全的水平。尽管如此,任何国家对公正的判断仍需经过道德标准的检验。
IPCC近期的报告指出,伦理学著作中提及的要素在决定减排责任的分配中同样适用。内容包括:造成气候问题的责任;减少温室气体排放的财力;平等或者给予每个人公平的大气温室气体排放权;还有发展的权利——这个概念通常被理解为免除穷国的减排义务,来满足其基本的发展需要。
换言之,伦理学家认为,从道德层面而言,只有有限的几个要素与全球温室气体减排问题有关,而高排放国家减排的成本问题并不在其中。
为什么我们不应该等待别人行动
无论其他国家采取怎样的行动,所有温室气体排放量超过安全限度的国家都有责任立即减少其温室气体排放。因为控制气候变化不仅仅事关国家利益,更事关全球公义。
停止加害行为的责任不以他人是否停止加害行为为前提。好比有两家企业同时排污毒害下游居民,其中一家企业辩称,除非另外一家企业同意采取类似的行动,否则自己没有义务减少有毒污染物排放,这种说辞荒谬至极。再好比两个殴打无辜受害人的暴徒,其中一人辩称在另外一个人仍在行凶的情况下自己没有停手的责任,这种托辞也是毫无说服力的。
气候变化的情况与上述两个案例类似。一些高排放国家对一些自我保护能力较弱的低排放国家造成了严重的伤害。因此,对于一些高排放国家用“其他高排放国家也没有减少排放”的理由为自己寻找借口的做法,那些受到伤害的穷国完全有理由反对。
美国或者其他国家是否有理由拒绝根据其在全球温室气体排放中所占的比重减排,除非中国或者其他国家也采取同样的行动呢?答案是否定的。
中国或者其他发展中国家是否能以一个发达国家拒绝采取行动为由而不减排呢?答案也是否定的。
任何国家,包括美国和中国在内,其减排责任只有在其排放量低至足以避免气候危险变化的水平时才会终止。(虽然也有观点认为即便是在这样的情况下,一个国家也应该在能力所及的范围之内继续减排,以避免对其他国家造成灾难性的影响——人权理论要求国家政府即便本身没有过错,也要具备防止侵害人权行为的能力。)
美国和其他高排放国家不能真切地证明其排放量已经在安全范围之内,因而有责任立即采取行动减排。这是一种国际义务,与其他国家行为无关。
“除非其他国家也采取类似行动,否则美国不必减少其温室气体排放量”这一论点换种方式说就是,如果美国采取了行动但其他国家没有,那么易受气候变化影响的国家所遭受的损害仍不会有任何改观。这种说法是不正确的。任何国家超过合理安全水平的排放量都在加剧这一危害。尽管大多数伤害可能都是由那些拒绝承担应有减排量的国家所造成,但所有排放量超过其合理比重的国家都负有不可推卸的责任。
Wednesday, August 29, 2018
Monday, August 27, 2018
पांच बड़ी ख़बरें: मालदीव पर 'हमले' के बयान को लेकर भारत की सफ़ाई
स्वामी ने ये बात कोलंबो में मालदीव के निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद से मुलाक़ात के बाद कही थी. अब भारत के विदेश मंत्रालय के
प्रवक्ता रवीश कुमार ने स्वामी के बयान को उनकी निजी सोच बताया है और कहा
है कि उनसे सरकार सहमत नहीं है.
स्वामी ने पिछले हफ़्ते मंगलवार को कोलंबो में मोहम्मद नशीद से मुलाक़ात की थी. नशीद ने स्वामी से मालदीव में 23 सितंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की तरफ़ से गड़बड़ी कराए जाने की आशंका ज़ाहिर की थी.
नशीद ने भी ट्वीट कर कहा था कि उन्होंने स्वामी से मालदीव में 23 सितंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में गड़बड़ी को लेकर चिंता जताई है. स्वामी ने कहा था कि भारत को इस पर कार्रवाई के लिए सोचना चाहिए.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ख़त लिखकर कहा है कि वो जवाहरलाल नेहरू के योगदान को मिटाने की कोशिश ना करें. मनमोहन ने कहा है कि नेहरू केवल कांग्रेस के नहीं बल्कि वो पूरे देश के थे.
उन्होंने कहा कि नेहरू से जुड़े तीन मूर्ति भवन से सरकार छेड़छाड़ ना करे. मनमोहन सिंह ने ख़त में ग़ुस्से का इज़हार करते हुए लिखा है कि सरकार एजेंडे के तहत नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी के स्वरूप और उसकी संरचना को बदलने में लगी है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने छह साल के कार्यकाल में तीन मूर्ति भवन के साथ छेड़छाड़ नहीं की थी, लेकिन दुर्भाग्य से वर्तमान सरकार एजेंडे के तहत ऐसा कर रही है.
सरकार तीन मूर्ति भवन के भीतर ही देश के सभी प्रधानमंत्रियों से जुड़ा एक संग्रहालय बनाने की योजना पर काम कर रही है.
पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद भारत पहली बार किसी भी तरह की आधिकारिक बातचीत करने जा रहा है. इस हफ़्ते एक टीम इस्लामाबाद जाएगी और सिंधु नदी के पानी पर बात करेगी.
भारत का कहना है कि सिंधु जल समझौते के तहत इस पर बातचीत अनिवार्य है. एक हफ़्ते पहले ही इमरान ख़ान ने पाकिस्तान की कमान संभाली है. पाकिस्तान के लिए सिंघु जल समझौता काफ़ी अहम है.
इमरान ख़ान ने भारत से संवाद की अपील की थी. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इमरान ख़ान को पत्र लिखकर सार्थक और रचनात्मक सहयोग को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई थी.
सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन पर हमला बोला है. रविवार को बीजेपी ने कहा कि अमर्त्य सेन जैसे लोग हमेशा समाज को गुमराह करते रहे हैं.
इससे पहले सेन ने कहा था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में ग़ैर-बीजेपी और धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को एक साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए.
पश्चिम बंगाल बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष ने कहा, ''अमर्त्य सेन जैसे बुद्धिजीवी हमेशा वामपंथी विचारधारा की वकालत करते हैं. ये ज़मीनी हक़ीक़त को नहीं जानते हैं. सेन ने ख़ुद ही कहा है कि सीपीएम का प्रभाव कम हुआ है. यह सबसे बड़ा सच है और ये भी सच है कि सेन जैसे मार्क्सवादी लोगों की प्रासंगिकता वर्तमान समय में नहीं है.''रीलंका में एक सामूहिक क़ब्र का पता चला है जहां 90 लोगों के कंकाल मिले हैं. मन्नार शहर की ये क़ब्र 2009 के गृहयुद्ध के बाद मिली दूसरी सबसे बड़ी सामूहिक क़ब्र है. ये इलाक़ा युद्धग्रस्त था.
कुछ दिन पहले श्रमिकों को यहां कुछ मानव अवशेष मिले थे जिसके बाद कोर्ट ने यहां खुदाई का आदेश दिया था. ये तो अभी तक नहीं पता चला है कि ये कंकाल पीड़ितो के हैं या मारने वालों के. लेकिन जिस तरह से इन शवों को दफ़नाया गया है, उससे सवाल तो पैदा होते हैं. श्रीलंका के गृहयुद्ध में लाखों लोग मारे गए थे और हज़ारों लोग अब भी लापता हैं.
स्वामी ने पिछले हफ़्ते मंगलवार को कोलंबो में मोहम्मद नशीद से मुलाक़ात की थी. नशीद ने स्वामी से मालदीव में 23 सितंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की तरफ़ से गड़बड़ी कराए जाने की आशंका ज़ाहिर की थी.
नशीद ने भी ट्वीट कर कहा था कि उन्होंने स्वामी से मालदीव में 23 सितंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में गड़बड़ी को लेकर चिंता जताई है. स्वामी ने कहा था कि भारत को इस पर कार्रवाई के लिए सोचना चाहिए.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ख़त लिखकर कहा है कि वो जवाहरलाल नेहरू के योगदान को मिटाने की कोशिश ना करें. मनमोहन ने कहा है कि नेहरू केवल कांग्रेस के नहीं बल्कि वो पूरे देश के थे.
उन्होंने कहा कि नेहरू से जुड़े तीन मूर्ति भवन से सरकार छेड़छाड़ ना करे. मनमोहन सिंह ने ख़त में ग़ुस्से का इज़हार करते हुए लिखा है कि सरकार एजेंडे के तहत नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी के स्वरूप और उसकी संरचना को बदलने में लगी है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने छह साल के कार्यकाल में तीन मूर्ति भवन के साथ छेड़छाड़ नहीं की थी, लेकिन दुर्भाग्य से वर्तमान सरकार एजेंडे के तहत ऐसा कर रही है.
सरकार तीन मूर्ति भवन के भीतर ही देश के सभी प्रधानमंत्रियों से जुड़ा एक संग्रहालय बनाने की योजना पर काम कर रही है.
पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद भारत पहली बार किसी भी तरह की आधिकारिक बातचीत करने जा रहा है. इस हफ़्ते एक टीम इस्लामाबाद जाएगी और सिंधु नदी के पानी पर बात करेगी.
भारत का कहना है कि सिंधु जल समझौते के तहत इस पर बातचीत अनिवार्य है. एक हफ़्ते पहले ही इमरान ख़ान ने पाकिस्तान की कमान संभाली है. पाकिस्तान के लिए सिंघु जल समझौता काफ़ी अहम है.
इमरान ख़ान ने भारत से संवाद की अपील की थी. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इमरान ख़ान को पत्र लिखकर सार्थक और रचनात्मक सहयोग को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई थी.
सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन पर हमला बोला है. रविवार को बीजेपी ने कहा कि अमर्त्य सेन जैसे लोग हमेशा समाज को गुमराह करते रहे हैं.
इससे पहले सेन ने कहा था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में ग़ैर-बीजेपी और धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को एक साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए.
पश्चिम बंगाल बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष ने कहा, ''अमर्त्य सेन जैसे बुद्धिजीवी हमेशा वामपंथी विचारधारा की वकालत करते हैं. ये ज़मीनी हक़ीक़त को नहीं जानते हैं. सेन ने ख़ुद ही कहा है कि सीपीएम का प्रभाव कम हुआ है. यह सबसे बड़ा सच है और ये भी सच है कि सेन जैसे मार्क्सवादी लोगों की प्रासंगिकता वर्तमान समय में नहीं है.''रीलंका में एक सामूहिक क़ब्र का पता चला है जहां 90 लोगों के कंकाल मिले हैं. मन्नार शहर की ये क़ब्र 2009 के गृहयुद्ध के बाद मिली दूसरी सबसे बड़ी सामूहिक क़ब्र है. ये इलाक़ा युद्धग्रस्त था.
कुछ दिन पहले श्रमिकों को यहां कुछ मानव अवशेष मिले थे जिसके बाद कोर्ट ने यहां खुदाई का आदेश दिया था. ये तो अभी तक नहीं पता चला है कि ये कंकाल पीड़ितो के हैं या मारने वालों के. लेकिन जिस तरह से इन शवों को दफ़नाया गया है, उससे सवाल तो पैदा होते हैं. श्रीलंका के गृहयुद्ध में लाखों लोग मारे गए थे और हज़ारों लोग अब भी लापता हैं.
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